मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang,
Panchang, पंचाग, ( Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए मंगलवार का पंचांग (Mangalvar Ka Panchang)।
शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
आज का पंचांग, Aaj ka Panchang, मंगलवार का पंचांग, Mangalvar Ka Panchang,
21 अक्टूबर 2025 का पंचांग, 21 October 2025 ka panchang,
हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
- दिन (वार) – मंगलवार Mangalwar के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए ।
मंगलवार Mangalwar को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा एवं सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए।
मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।
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मंगलवार के व्रत से सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है, बल, साहस और सम्मान में भी वृद्धि होती है।
मंगलवार को धरती पुत्र मंगलदेव की आराधना करने से जातक को मुक़दमे, राजद्वार में सफलता मिलती है, उत्तम भूमि, भवन का सुख मिलता है, मांगलिक दोष दूर होता है।
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*विक्रम संवत् 2082,
*शक संवत – 1947
*कलि सम्वत 5127
*अयन – दक्षिणयायन
*ऋतु – शरद ऋतु
*मास – कार्तिक माह,
*पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,
मंगलवार को मंगल की होरा :-
प्रात: 6.26 AM से 7.22 AM तक
दोपहर 01.02 PM से 1.59 PM तक
रात्रि 19.52 PM से 20.55 PM तक
मंगलवार को मंगल की होरा में हाथ की निम्न मंगल पर दो बूंद सरसो का तेल लगा कर उसे हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक मंगल देव के मन्त्र का जाप करें ।
कृषि, भूमि, भवन, इंजीनियरिंग, खेलो, साहस, आत्मविश्वास
और भाई के लिए मंगल की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
मंगलवार के दिन मंगल की होरा में मंगल देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में मंगल मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
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मंगल देव के मन्त्र
ॐ अं अंगारकाय नम: अथवा
ॐ भौं भौमाय नम:”
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तिथि :- अमावस्या 5.54 PM तक तत्पश्चात प्रतिपदा
तिथि के स्वामी :- अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव जी और प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी है ।
आज कार्तिक माह की अमावस्या है । अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर सोमवार को दोपहर 03.45 PM से प्रारम्भ हुई थी जो आज सांय काल 5.54 PM तक रहेगी । इसलिए इस बार दीपावली का पर्व दो दिन का है ।
चूँकि 20 तारीख को अमावस्या तिथि लगने के बाद उस में प्रदोष व्यापिनी तिथि, स्थिर लग्न और निशीथ काल प्राप्त हो रहा था, जिसमें ही महालक्ष्मी जी की पूजा करना श्रेष्ठ होता है इसलिए दीपावली का पर्व मुख्य 20 अक्टूबर सोमवार को ही मनाया जायेगा लेकिन चूँकि उदया तिथि के अनुसार और आज अमावस्या का मान पूरे दिन भर है इसलिए आज की तिथि में भी पूजा पाठ, उपाय अत्यंत फलदाई है ।
एक तिथि बढ़ जाने के कारण इस बार पांच दिवसीय दीपावली का पर्व 6 दिनों का हो गया है दीपावली के अगले दिन आने वाला गोवर्धन पूजा का पर्व अब एक दिन और बढ़ कर 22 अक्टूबर को मनाया जायेगा इसी तरह भाई दूज का पर्व अब गुरुवार 23 अक्टूबर को होगा ।
अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव को माना गया है। पीपल के पेड़ पर पितरों का वास माना गया है। अमावस्या के दिन सुबह के समय लोहे के बर्तन में, दूध, पानी, काले तिल, शहद एवं जौ मिला कर समस्त सामग्री पीपल की जड़ में अर्पित करके पीपल की 7 परिक्रमा करें, तथा इस दौरान “ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः” मंत्र का जाप भी लगातार करते रहें ।
इस उपाय को करने से पितृ प्रसन्न होते है, उनका आशीर्वाद मिलता है ।
अमावस्या तिथि को पितरों के तर्पण, दान के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है । इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य देकर अपने पितरों की शांति के लिए उनका तर्पण करते हैं ।
आज कार्तिक अमावस्या के दिन पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए घर पर ब्राह्मण को भोजन कराएं एवं उसे यथा शक्ति दान – दक्षिणा प्रदान करें ।
अमावस्या के दिन घी, नमक, चावल, चीनी, आटा, सत्तू, काले तिल, अनाज, वस्त्र, आदि दक्षिणा के साथ योग्य ब्राह्मण को दान में अवश्य ही दें , ऐसा करने से पितरो का आशीर्वाद मिलता है ।
अमावस्या के दिन घर पर खीर अवश्य बनायें फिर उसमें थोड़ी सी खीर दोने पर निकाल कर पित्रों के निमित पीपल पर रख आएं ।
हर अमावस्या को गहरे गड्ढे या कुएं में एक चम्मच दूध डालें इससे कार्यों में बाधाओं का निवारण होता है ।
इसके अतिरिक्त अमावस्या को आजीवन जौ दूध में धोकर बहाएं, आपका भाग्य सदैव आपका साथ देगा ।
अमावस्या पर तुलसी के पत्ते या बिल्व पत्र बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए। अमावस्या पर देवी-देवताओं को तुलसी के पत्ते और शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने के लिए उन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।
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- नक्षत्र (Nakshatra) – चित्रा 22.59 PM तक तत्पश्चात स्वाति
- नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी – चित्रा नक्षत्र के देवता विश्वकर्मा जी एवं चित्रा नक्षत्र के स्वामी मंगल देव जी है ।
चित्रा नक्षत्र नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 14 वां है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चित्रा नक्षत्र का शासक ग्रह चंद्र देव जी है।
यह एक मोती या उज्ज्वल गहने की तरह है जो चमकते प्रकाश सा हमारे भीतर की आत्मा का प्रतीक है। 27 नक्षत्रों में चित्रा नक्षत्र सबसे ज्यादा चमकने वाला नक्षत्र भी बताया जाता है ।
चित्रा नक्षत्र कलात्मकता, रचनात्मकता का प्रतीक है, इसीलिए इस नक्षत्र के लोग अपने क्षेत्र में बहुत ही प्रवीण होते है वह साधारण चीज़ को भी और भी अधिक खूबसूरत, विशेष बनाते है, उसके मूल्य को बढ़ा देते हैं।
चित्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले पुरुष बहुत मेहनती होते हैं। इसके बावजूद सफलता प्राप्त करने में इन्हें 32 साल की उम्र तक संघर्ष करना पड़ता है।
इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : बेल तथा स्वाभाव तीक्ष्ण माना गया है। चित्रा नक्षत्र स्टार का लिंग मादा है।
चित्रा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 5, 6 और 9, भाग्यशाली रंग, काला, भाग्यशाली दिन रविवार और बुधवार माना जाता है ।
चित्रा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ चित्रायै नमः”l। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
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- योग :- विष्वकंभ 3.17 AM बुधवार 22 अक्टूबर तक
- योग के स्वामी :- विष्कम्भ योग के स्वामी यम एवं स्वभाव हानिकारक है ।
- प्रथम करण : – नाग 17.54 PM तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- नाग करण के स्वामी नागदेव और स्वभाव क्रूर है ।
- द्वितीय करण : – किस्तुघ्न पूर्ण रात्रि तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- किस्तुघ्न करण के स्वामी मरुत और स्वभाव क्रूर है ।
- ब्रह्म मुहूर्त : 04.44 AM से 5.35 AM तक
- विजय मुहूर्त : 13.59 PM से 14.44 PM तक
- गोधूलि मुहूर्त : 17.45 PM से 18.11 PM तक
- अमृत काल : 15.51 PM से 17.38 AM बुधवार 8 अक्टूबर तक
- दिशाशूल (Dishashool)- मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है।
यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ । - गुलिक काल : – दोपहर 12:00 से 01:30 तक है ।
- राहुकाल (Rahukaal) दिन – 3:00 से 4:30 तक।
- सूर्योदय – प्रातः 06:26
- सूर्यास्त – सायं 17:45
- विशेष – अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति, चतुर्दशी, श्राद्ध और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना निषिद्ध है।
अमावस्या के दिन तुलसी के पत्ते, बिल्व पत्र या किसी भी तरफ के फूल पत्तो को बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए।
- पर्व – त्यौहार- दीपावली का पर्व, कार्तिक माह की अमावस्या
- मुहूर्त (Muhurt) –
हर संकट को दूर करने, सर्वत्र सफलता के लिए नित्य जपें हनुमान जी के 12 चमत्कारी नाम
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )
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[…] Pandit Ji April 8, 2020 1 339 Facebook Twitter Pinterest WhatsApp मंगलवार का पंचांग गुरुवार का […]
बहुत सुंदर आपका पंचांग बहुत अच्छा लगा।
जय महाकालेश्वर बाबा।
काल गणना