रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag,
26 अक्टूबर 2025 का पंचांग, 26 October 2025 ka Panchang,
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Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang।
रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang,
26 अक्टूबर 2025 का पंचांग, 26 October 2025 ka Panchang,
जानिए नवरात्री में कन्या पूजन में माता के किन किन स्वरूपों की पूजा की जाती है
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।
👉🏽दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
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रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।

* विक्रम संवत् – 2082, वर्ष
* शक संवत – 1947, वर्ष
* कलि संवत 5127, वर्ष
* कलयुग – 5127, वर्ष
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – कार्तिक माह
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
* चंद्र बल – मिथुन, सिंह, तुला वृश्चिक, धनु, मीन,
रविवार को सूर्य देव की होरा :-
प्रात: 6.28 AM से 7.25 AM तक
दोपहर 01.03 PM से 01.55 PM तक
रात्रि 20.01 PM से 9.07 PM तक
रविवार को सूर्य की होरा में अधिक से अधिक अनामिका उंगली / रिंग फिंगर पर थोड़ा सा घी लगाकर मसाज करते हुए सूर्य देव के मंत्रो का जाप करें ।
सुख समृद्धि, मान सम्मान, सरकारी कार्यो, नौकरी, साहसिक कार्यो, राजनीती, कोर्ट – कचहरी आदि कार्यो में सफलता के लिए रविवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
रविवार के दिन सूर्य देव की होरा में सूर्य देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
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सूर्य देव के मन्त्र :-
ॐ भास्कराय नमः।।
अथवा
ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
- तिथि (Tithi) – त्रियोदशी 13.51 PM तक तत्पश्चात चतुर्दर्शी,
- तिथि के स्वामी :- त्रियोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी और चतुर्दर्शी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी है ।
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आज छोटी दीपावली / नरक चतुर्दर्शी / रूप चतुर्दर्शी, हनुमान जयंती का पर्व है । शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण और राक्षस नरकासुर के मध्य कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि तक घोर युद्ध हुआ था।
भगवान श्री कृष्ण जी ने आज ही अधर्मी नरकासुर का वध कर सोलह हजार स्त्रियों को मुक्त कराया था। इस शुभ अवसर पर हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है।
चतुर्दशी तिथि 19 अक्टूबर रविवार को दोपहर 1.52 PM से प्रारम्भ होगी जो 20 अक्टूबर को दोपहर 3.44 PM तक रहेगी, चतुर्दर्शी तिथि में संध्या के समय प्रदोष काल का विशेष महत्त्व है इसलिए नरक चतुर्दर्शी का पर्व 19 अक्टूवर रविवार को ही मनाया जायेगा ।
नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान जी और यम की भी पूजा की जाती है । बहुत सी जगहों पर आज हनुमान जयंती भी मनाई जाती है क्योंकि आज ही के दिन माँ सीता ने हनुमान जी को अमर होने का वरदान दिया था ।
हनुमान जी बहुत ही शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं , हनुमान जी को कलयुग के साक्षात देवता कहा गया है अर्थात हनुमान जी कलयुग में भी जीवित देवता है। आज के दिन मंदिर में हुनमान जी को प्रशाद, इत्र, मीठा पान, पीला सिंदूर और तिल का तेल अर्पित करें, ऐसा करने से कार्यो में अवरोध दूर होता है ।
आज यमराज जी के निमित दीपक भी अवश्य ही जलाना चाहिए ऐसा करने से नरक की यातना नहीं भोगनी चाहिए ।
नरक चतुर्दर्शी के दिन माँ काली की आराधना अवश्य ही करें । मान्यता है कि इस दिन काली मां की पूजा से जीवन से सभी संकट निश्चय ही दूर होते है, भाग्य साथ देने लगता है ।
काली माता का मन्त्र :-
- “ॐ क्रीं कालिके स्वाहा”॥
- ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके स्वाहा॥
आज के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जल में गंगा जल हल्दी और कुमकुम डाल कर नहाना चाहिए । ब्रह्म पुराणमें लिखा की जो मनुष्य वर्ष में इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करता है वह नरक का भागी नहीं होता है ।
इस दिन स्नान से पहले शरीर पर बेसन में हल्दी, कुमकुम डाल कर तिल का तेल मिलाकर शरीर पर उसका उबटन लगाना चाहिए, इस दिन स्नान से पूर्व तिल्ली के तेल से मालिश जरुर करनी चाहिए ।
ऐसा करने से रूप / यौवन, तेज की वृद्धि होती है, दुर्भाग्य दूर होता है, जातक लक्ष्मीवान बनता है ।
आज के दिन संध्या के समय तिल के तेल से भरे 14 दीपक प्रज्ज्वलित करके उनकी पूजा करके उसको पूरे घर में अलग अलग स्थान पर रखें । ऐसा करने से घर में स्थाई लक्ष्मी जी का वास होता है ।
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नक्षत्र :- ज्येष्ठा 10.46 AM तक तत्पश्चात मूल
नक्षत्र के स्वामी :- ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इंद्र एवं ज्येष्ठा नक्षत्र के स्वामी बुध देव जी है ।
ज्येष्ठा नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 18 वां है। ‘ज्येष्ठा’ का मतलब होता है ‘बड़ा’। ज्येष्ठा नक्षत्र को गंड मूल नक्षत्र भी कहा जाता है।
देवराज इंद्र को समर्पित यह नक्षत्र तावीज़ या छतरी जैसा लगता है, ज्योतिषियों के अनुसार ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक अपने आयु से पूर्व ही शारीरिक तथा मानसिक रूप से अधिक परिपक्व हो जाते हैं।
इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : निर्गुडी/चीड़ तथा स्वाभाव तीक्ष्ण माना गया है। ‘ज्येष्ठा’ नक्षत्र सितारे का लिंग मादा है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर मंगल और बुध दोनों ही ग्रहों का प्रभाव हमेशा रहता है।
इस नक्षत्र में जन्मे जातक बहुत ही ऊंचाइयों पर जाते हैं। यह साहसी, दयालु, परिश्रमी, नेतृत्व करने वाले और समस्याओं को सुलझाने में माहिर होते है।
लेकिन यदि बुध और मंगल खराब हैं तो यह झूठे, धोखेबाज़, क्रोधी, जिद्दी, अल्प मित्र वाले होते है।
ज्येष्ठा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8, भाग्यशाली रंग सफ़ेद, भाग्यशाली दिन शनिवार और मंगलवार माना जाता है ।
ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को ॐ इंद्राय नमःl। मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
ज्येष्ठा नक्षत्र के दिन जातको को विष्णु सहस्त्रनाम का जाप, भगवान श्री विष्णु की उपासना करनी चाहिए, इससे बुध्दि और व्यापार के देवता बुद्ध ग्रह अनुकूल होते है ।
ज्येष्ठा नक्षत्र वाले दिन भगवान बुद्ध के मन्त्र ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:’। का जाप करने से भी ज्येष्ठा नक्षत्र के शुभ फल प्राप्त होते है ।
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घर के बैडरूम में अगर है यह दोष तो दाम्पत्य जीवन में आएगी परेशानियाँ, जानिए बैडरूम के वास्तु टिप्स
- योग (Yog) – शोभन 06.46 AM तत्पश्चात अतिगण्ड
- योग के स्वामी :- शोभन योग के स्वामी बृहस्पति देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ है ।
- प्रथम करण : – बव 16.58 AM तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।।
- द्वितीय करण : – बालव 06.04 AM सोमवार 27 अक्टूबर तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है ।
- ब्रह्म मुहूर्त : 4.47 AM से 5.38 AM तक
- विजय मुहूर्त : 13.57 PM से 14.42 PM तक
- गोधूलि मुहूर्त : 17.41 PM से 18.06 PM तक
- अमृत काल :- अमृत काल 6.20 AM से 08.07 AM सोमवार 27 अक्टूबर तक
- दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
- गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
- राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
- सूर्योदय – प्रातः 06:29
- सूर्यास्त – सायं 17:41
आँखों की रौशनी बढ़ाने, आँखों से चश्मा उतारने के लिए अवश्य करें ये उपाय - विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।
रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।
पंचमी तिथि को बेल का सेवन नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि पंचमी को बेल का सेवन करने से अपयश मिलता है।
पंचमी तिथि को कर्ज भी नहीं देना चाहिए, पंचमी को कर्ज देने से धन डूब जाता है तथा धन के आगमन में भी रुकावटें आने लगती है ।
- पर्व त्यौहार-
- मुहूर्त (Muhurt) –
एकादशी के इन उपायों से पाप होंगे दूर, सुख – समृद्धि की कोई कमी नहीं रहेगी
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।
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आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )
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जय श्री राम नमो नारायण
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