51 शक्तिपीठ 
51 shakti peeth

माँ दुर्गा की 51 शक्ति पीठ
Ma Durga ke 51 Shakti Peth
पुराणों के अनुसार माता सती के शव के विभिन्न अंगों से अत्यंत पूजनीय 51 शक्तिपीठो Shakti Petho का निर्माण हुआ था। हिन्दू धर्म शास्त्रो के अनुसार जहाँ जहाँ सती देवी के शरीर के अंग गिरे थे ,
वो स्थान शक्ति पीठ बन गए और उन स्थानों को अत्यंय पावन तीर्थ के रूप में मान्यता मिली । ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर जगह जगह फैले हुए हैं,
जानिए 51 शक्तिपीठ , 51 shakti peeth, माँ दुर्गा की 51 शक्ति पीठ, Ma Durga ke 51 Shakti Peth ।
शास्त्रो में इन शक्तिपीठो shakti peetho की कथा कही गयी है । एक समय सती माता के पिता दक्ष प्रजापति ने कनखल (हरिद्वार) में 'बृहस्पति सर्व' नामक यज्ञ करवाया । उस यज्ञ में उन्होंने ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन जान-बूझकर उन्होंने अपने जमाता भगवान शंकर को नहीं बुलाया।
दक्ष की पुत्री और भगवान शंकरजी की पत्नी सती माता अपने पिता द्वारा न बुलाए जाने पर और भगवान शंकर जी के रोकने पर हठ पूर्वक भी यज्ञ में भाग लेने चली गईं। वहाँ यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति से दामाद शंकर जी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा । इस पर दक्ष प्रजापति जो शंकर जी से नाराज़ थे उन्होंने सबके समक्ष भगवान शंकर को अपशब्द कहे। अपने पति के अपमान से दुखित सती ने विरोध प्रकट किया और क्रोध एवं लज्जा वश यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहुति दे दी।
इस घटना को जानकर भगवान शंकर अत्यन्त क्रोधित हुए और क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया। और उन्होंने यज्ञ को तहस नहस कर दिया । उनके क्रोध से भयभीत होकर सारे देवता और ऋषिगण यज्ञस्थल से भाग गये।
तत्पश्चात भगवान शंकर ने सती के पार्थिव शरीर को यज्ञकुंड से निकाल कर अपने कंधे पर उठा लिया और दुःखी हुए पूरे ब्रह्माण्ड में इधर-उधर घूमने लगे।
तब भगवान विष्णु ने सम्पूर्ण विश्व को प्रलय से बचाने के , लिए अपने चक्र से माता सती के शरीर को बहुत से टुकड़ो में काट दिया।माँ के शरीर और उनके आभूषणों के टुकडे जिन जिन स्थानों पर गिरे वह स्थान शक्तिपीठ shakti peeth कहलाए।
वर्तमान में इन 51 शक्तिपीठ shakti peethों में आज के भारत में 42 शक्ति पीठ shakti peeth रह गए है, 4 बांग्लादेश में, 2 नेपाल में, 1 शक्तिपीठ shakti peeth पाकिस्तान में, 1 श्रीलंका में तथा 1 शक्तिपीठ shakti peeth तिब्बत में है।
(1)
किरीट शक्तिपीठ (Kirit Shakti Peeth)
किरीट शक्तिपीठ Kirit shakti peeth, पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर, जिला मुर्शिदाबाद में स्थित है। यहां सती माता का किरीट यानी शिराभूषण या मुकुट गिरा था। यहां की शक्ति shakti विमला अथवा भुवनेश्वरी तथा भैरव संवर्त हैं।
(शक्ति shakti का मतलब माता का वह रूप जिसकी पूजा की जाती है तथा भैरव का मतलब शिवजी का वह अवतार जो माता के इस रूप के स्वांगी है )
(2)
कात्यायनी शक्तिपीठ (Katyayani Shakti Peeth )
वृन्दावन, मथुरा के भूतेश्वर में स्थित है कात्यायनी वृन्दावन शक्तिपीठ shakti peeth जहां सती का केशपाश गिरा था। यहां की शक्ति shakti देवी कात्यायनी हैं तथा भैरव भूतेश है।
(3)
करवीर शक्तिपीठ (Karveer shakti Peeth)
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है यह शक्तिपीठ shakti peeth, जहां माता का त्रिनेत्र गिरा था। यहां की शक्ति shakti महिषासुरमदिनी तथा भैरव क्रोधशिश हैं। यहां महालक्ष्मी का निज निवास माना जाता है।
(4)
श्री पर्वत शक्तिपीठ (Shri Parvat Shakti Peeth)
इस शक्तिपीठ shakti peeth को लेकर विद्वानों में मतान्तर है कुछ विद्वानों का मानना है कि इस पीठ का मूल स्थल लद्दाख है, जबकि कुछ का मानना है कि यह असम के सिलहट में है जहां माता सती का दक्षिण तल्प यानी कनपटी गिरा था। यहां की शक्ति shakti श्री सुन्दरी एवं भैरव सुन्दरानन्द हैं।
(5)
विशालाक्षी शक्तिपीठ (Vishalakshi Shakti Peeth)
उत्तर प्रदेश, वाराणसी के मीरघाट पर स्थित है शक्तिपीठ shakti peeth जहां माता सती के दाहिने कान के मणि गिरे थे। यहां की शक्ति shakti विशालाक्षी तथा भैरव काल भैरव हैं।
(6)
गोदावरी तट शक्तिपीठ (Godavari Coast Shakti Peeth)
आंध्रप्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर स्थित है यह शक्तिपीठ shakti peeth, जहां माता का वामगण्ड यानी बायां कपोल गिरा था। यहां की शक्ति shakti विश्वेश्वरी या रुक्मणी तथा भैरव दण्डपाणि हैं।
(7)
शुचीन्द्रम शक्तिपीठ (Suchindram shakti Peeth)
तमिलनाडु, कन्याकुमारी के त्रिासागर संगम स्थल पर स्थित है यह शुची शक्तिपीठ shakti peeth, जहां सती के उफध्र्वदन्त (मतान्तर से पृष्ठ भागद्ध गिरे थे। यहां की शक्ति shakti नारायणी तथा भैरव संहार या संकूर हैं।
(8)
पंच सागर शक्तिपीठ (Panchsagar Shakti Peeth)
इस शक्तिपीठ shakti peeth का कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है लेकिन यहां माता का नीचे के दान्त गिरे थे। यहां की शक्ति shakti वाराही तथा भैरव महारुद्र हैं।
(9)
ज्वालामुखी शक्तिपीठ (Jwalamukhi Shakti Peeth)
हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा में स्थित है यह शक्तिपीठ shakti peeth, जहां सती का जिह्वा गिरी थी। यहां की शक्ति shakti सिद्धिदा व भैरव उन्मत्त हैं।
(10)
भैरव पर्वत शक्तिपीठ (Bhairavparvat Shakti Peeth)
इस शक्तिपीठ shakti peeth को लेकर विद्वानों में मतदभेद है। कुछ गुजरात के गिरिनार के निकट भैरव पर्वत को तो कुछ मध्य प्रदेश के उज्जैन के निकट क्षीप्रा नदी तट पर वास्तविक शक्तिपीठ shakti peeth मानते हैं, जहां माता का उफध्र्व ओष्ठ गिरा है। यहां की शक्ति shakti अवन्ती तथा भैरव लंबकर्ण हैं।
(11)
अट्टहास शक्तिपीठ ( Attahas Shakti Peeth)
अट्टहास शक्तिपीठ shakti peeth पश्चिम बंगाल के लाबपुर में स्थित है। जहां माता का अध्रोष्ठ यानी नीचे का होंठ गिरा था। यहां की शक्ति पफुल्लरा तथा भैरव विश्वेश हैं।
(12)
जनस्थान शक्तिपीठ (Janasthan Shakti Peeth)
जनस्थान शक्तिपीठ shakti peeth महाराष्ट्र के नासिक के पंचवटी में स्थित है , जनस्थान शक्तिपीठ shakti peeth में माता की ठुड्डी गिरी थी। इस दिव्य स्थान की शक्ति भ्रामरी तथा भैरव विकृताक्ष जी हैं।
(13)
कश्मीर शक्तिपीठ या अमरनाथ शक्तिपीठ (Kashmir Shakti Peeth or Amarnath Shakti Peeth)
अमरनाथ शक्तिपीठ shakti peeth जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ में स्थित है, इस शक्तिपीठ shakti peeth में माता का कण्ठ गिरा था। अमरनाथ शक्तिपीठ shakti peeth की शक्ति महामाया तथा भैरव त्रिसंध्येश्वर जी हैं।
(14)
नन्दीपुर शक्तिपीठ (Nandipur Shakti Peeth)
पश्चिम बंगाल के सैन्थया में स्थित है यह पीठ, जहां देवी की देह का कण्ठहार गिरा था। यहां कि शक्ति निन्दनी और भैरव निन्दकेश्वर हैं।
(15)
श्री शैल शक्तिपीठ (Shri Shail Shakti Peeth )
आंध्रप्रदेश के कुर्नूल के पास है श्री शैल का शक्तिपीठ shakti peeth, जहां माता का ग्रीवा गिरा था। यहां की शक्ति महालक्ष्मी तथा भैरव संवरानन्द अथव ईश्वरानन्द हैं।
(16)
नलहटी शक्तिपीठ (Nalhati Shakti Peeth)
पश्चिम बंगाल के बोलपुर में है नलहटी शक्तिपीठ shakti peeth, जहां माता का उदरनली गिरी थी। यहां की शक्ति कालिका तथा भैरव योगीश हैं।
(17)
मिथिला शक्तिपीठ (Mithila Shakti Peeth )
इसका निश्चित स्थान अज्ञात है। स्थान को लेकर मन्तारतर है तीन स्थानों पर मिथिला शक्तिपीठ shakti peeth को माना जाता है, वह है नेपाल के जनकपुर, बिहार के समस्तीपुर और सहरसा, जहां माता का वाम स्कंध् गिरा था। यहां की शक्ति उमा या महादेवी तथा भैरव महोदर
(18)
रत्नावली शक्तिपीठ (Ratnavali Shakti Peeth)
इसका निश्चित स्थान अज्ञात है, बंगाज पंजिका के अनुसार यह तमिलनाडु के चेन्नई में कहीं स्थित है रत्नावली शक्तिपीठ shakti peeth जहां माता का दक्षिण स्कंध् गिरा था। यहां की शक्ति कुमारी तथा भैरव शिव हैं।
(19)
अम्बाजी शक्तिपीठ (Ambaji Shakti Peeth)
गुजरात गूना गढ़ के गिरनार पर्वत के शिखर पर देवी अम्बिका का भव्य विशाल मन्दिर है, जहां माता का उदर गिरा था। यहां की शक्ति चन्द्रभागा तथा भैरव वक्रतुण्ड है। ऐसी भी मान्यता है कि गिरिनार पर्वत के निकट ही सती का उध्र्वोष्ठ गिरा था, जहां की शक्ति अवन्ती तथा भैरव लंबकर्ण है।
(20)
जालंध्र शक्तिपीठ (Jalandhar Shakti Peeth)
पंजाब के जालंध्र में स्थित है माता का जालंध्र शक्तिपीठ shakti peeth जहां माता का वामस्तन गिरा था। यहां की शक्ति त्रिापुरमालिनी तथा भैरव भीषण हैं।.
(21)
रामागरि शक्तिपीठ (Ramgiri Shakti Peeth)
इस शक्ति पीठ की स्थिति को लेकर भी विद्वानों में मतान्तर है। कुछ उत्तर प्रदेश के चित्राकूट तो कुछ मध्य प्रदेश के मैहर में मानते हैं, जहां माता का दाहिना स्तन गिरा था। यहा की शक्ति शिवानी तथा भैरव चण्ड हैं।
(22)
वैद्यनाथ शक्तिपीठ (Vaidhnath Shakti Peeth)
झारखण्ड के गिरिडीह, देवघर स्थित है वैद्यनाथ हार्द शक्तिपीठ shakti peeth, जहां माता का हृदय गिरा था। यहां की शक्ति जयदुर्गा तथा भैरव वैद्यनाथ है। एक मान्यतानुसार यहीं पर सती का दाह-संस्कार भी हुआ था।
(23)
वक्त्रोश्वर शक्तिपीठ (Varkreshwar Shakti Peeth)
माता का यह शक्तिपीठ shakti peeth पश्चिम बंगाल के सैन्थया में स्थित है जहां माता का मन गिरा था। यहां की शक्ति महिषासुरमदिनी तथा भैरव वक्त्रानाथ हैं।
(24)
कण्यकाश्रम कन्याकुमारी शक्तिपीठ (Kanyakumari Shakti Peeth)
तमिलनाडु के कन्याकुमारी के तीन सागरों हिन्द महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ीद्ध के संगम पर स्थित है कण्यकाश्रम शक्तिपीठ shakti peeth, जहां माता का पीठ मतान्तर से उध्र्वदन्त गिरा था। यहां की शक्ति शर्वाणि या नारायणी तथा भैरव निमषि या स्थाणु हैं।
(25)
बहुला शक्तिपीठ (Bahula Shakti Peeth)
पश्चिम बंगाल के कटवा जंक्शन के निकट केतुग्राम में स्थित है बहुला शक्तिपीठ shakti peeth, जहां माता का वाम बाहु गिरा था। यहां की शक्ति बहुला तथा भैरव भीरुक हैं।
(26)
उज्जयिनी शक्तिपीठ shakti peeth (Ujjaini Shakti Peeth)
मध्य प्रदेश के उज्जैन के पावन क्षिप्रा के दोनों तटों पर स्थित है उज्जयिनी शक्तिपीठ shakti peeth। जहां माता का कुहनी गिरा था। यहां की शक्ति मंगल चण्डिका तथा भैरव मांगल्य कपिलांबर हैं।
(27)
मणिवेदिका शक्तिपीठ (Manivedika Shakti Peeth)
राजस्थान के पुष्कर में स्थित है मणिदेविका शक्तिपीठ shakti peeth, जिसे गायत्री मन्दिर के नाम से जाना जाता है यहीं माता की कलाइयां गिरी थीं। यहां की शक्ति गायत्री तथा भैरव शर्वानन्द हैं।
(28)
प्रयाग शक्तिपीठ (Prayag Shakti peeth)
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में स्थित है। यहां माता की हाथ की अंगुलियां गिरी थी। लेकिन, स्थानों को लेकर मतभेद इसे यहां अक्षयवट, मीरापुर और अलोपी स्थानों गिरा माना जाता है। तीनों शक्तिपीठ shakti peeth की शक्ति ललिता हैं तथा भैरव भव है।
(29)
विरजाक्षेत्रा, उत्कल शक्तिपीठ (Utakal Shakti Peeth)
उड़ीसा के पुरी और याजपुर में माना जाता है जहां माता की नाभि गिरा था। यहां की शक्ति विमला तथा भैरव जगन्नाथ पुरुषोत्तम हैं।
(30)
कांची शक्तिपीठ (Kanchi Shakti Peeth)
तमिलनाडु के कांचीवरम् में स्थित है माता का कांची शक्तिपीठ shakti peeth, जहां माता का कंकाल गिरा था। यहां की शक्ति देवगर्भा तथा भैरव रुरु हैं।
जानिए 51 शक्तिपीठ , 51 shakti peeth, माँ दुर्गा की 51 शक्ति पीठ, Ma Durga ke 51 Shakti Peth ।
शास्त्रो में इन शक्तिपीठो shakti peetho की कथा कही गयी है । एक समय सती माता के पिता दक्ष प्रजापति ने कनखल (हरिद्वार) में 'बृहस्पति सर्व' नामक यज्ञ करवाया । उस यज्ञ में उन्होंने ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन जान-बूझकर उन्होंने अपने जमाता भगवान शंकर को नहीं बुलाया।
दक्ष की पुत्री और भगवान शंकरजी की पत्नी सती माता अपने पिता द्वारा न बुलाए जाने पर और भगवान शंकर जी के रोकने पर हठ पूर्वक भी यज्ञ में भाग लेने चली गईं। वहाँ यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति से दामाद शंकर जी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा । इस पर दक्ष प्रजापति जो शंकर जी से नाराज़ थे उन्होंने सबके समक्ष भगवान शंकर को अपशब्द कहे। अपने पति के अपमान से दुखित सती ने विरोध प्रकट किया और क्रोध एवं लज्जा वश यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहुति दे दी।
इस घटना को जानकर भगवान शंकर अत्यन्त क्रोधित हुए और क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया। और उन्होंने यज्ञ को तहस नहस कर दिया । उनके क्रोध से भयभीत होकर सारे देवता और ऋषिगण यज्ञस्थल से भाग गये।
तत्पश्चात भगवान शंकर ने सती के पार्थिव शरीर को यज्ञकुंड से निकाल कर अपने कंधे पर उठा लिया और दुःखी हुए पूरे ब्रह्माण्ड में इधर-उधर घूमने लगे।
तब भगवान विष्णु ने सम्पूर्ण विश्व को प्रलय से बचाने के , लिए अपने चक्र से माता सती के शरीर को बहुत से टुकड़ो में काट दिया।माँ के शरीर और उनके आभूषणों के टुकडे जिन जिन स्थानों पर गिरे वह स्थान शक्तिपीठ shakti peeth कहलाए।
वर्तमान में इन 51 शक्तिपीठ shakti peethों में आज के भारत में 42 शक्ति पीठ shakti peeth रह गए है, 4 बांग्लादेश में, 2 नेपाल में, 1 शक्तिपीठ shakti peeth पाकिस्तान में, 1 श्रीलंका में तथा 1 शक्तिपीठ shakti peeth तिब्बत में है।
(1)

किरीट शक्तिपीठ Kirit shakti peeth, पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर, जिला मुर्शिदाबाद में स्थित है। यहां सती माता का किरीट यानी शिराभूषण या मुकुट गिरा था। यहां की शक्ति shakti विमला अथवा भुवनेश्वरी तथा भैरव संवर्त हैं।
(शक्ति shakti का मतलब माता का वह रूप जिसकी पूजा की जाती है तथा भैरव का मतलब शिवजी का वह अवतार जो माता के इस रूप के स्वांगी है )
(2)

वृन्दावन, मथुरा के भूतेश्वर में स्थित है कात्यायनी वृन्दावन शक्तिपीठ shakti peeth जहां सती का केशपाश गिरा था। यहां की शक्ति shakti देवी कात्यायनी हैं तथा भैरव भूतेश है।
(3)

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है यह शक्तिपीठ shakti peeth, जहां माता का त्रिनेत्र गिरा था। यहां की शक्ति shakti महिषासुरमदिनी तथा भैरव क्रोधशिश हैं। यहां महालक्ष्मी का निज निवास माना जाता है।
(4)

इस शक्तिपीठ shakti peeth को लेकर विद्वानों में मतान्तर है कुछ विद्वानों का मानना है कि इस पीठ का मूल स्थल लद्दाख है, जबकि कुछ का मानना है कि यह असम के सिलहट में है जहां माता सती का दक्षिण तल्प यानी कनपटी गिरा था। यहां की शक्ति shakti श्री सुन्दरी एवं भैरव सुन्दरानन्द हैं।
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उत्तर प्रदेश, वाराणसी के मीरघाट पर स्थित है शक्तिपीठ shakti peeth जहां माता सती के दाहिने कान के मणि गिरे थे। यहां की शक्ति shakti विशालाक्षी तथा भैरव काल भैरव हैं।
(6)

आंध्रप्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर स्थित है यह शक्तिपीठ shakti peeth, जहां माता का वामगण्ड यानी बायां कपोल गिरा था। यहां की शक्ति shakti विश्वेश्वरी या रुक्मणी तथा भैरव दण्डपाणि हैं।
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तमिलनाडु, कन्याकुमारी के त्रिासागर संगम स्थल पर स्थित है यह शुची शक्तिपीठ shakti peeth, जहां सती के उफध्र्वदन्त (मतान्तर से पृष्ठ भागद्ध गिरे थे। यहां की शक्ति shakti नारायणी तथा भैरव संहार या संकूर हैं।
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इस शक्तिपीठ shakti peeth का कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है लेकिन यहां माता का नीचे के दान्त गिरे थे। यहां की शक्ति shakti वाराही तथा भैरव महारुद्र हैं।
(9)

हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा में स्थित है यह शक्तिपीठ shakti peeth, जहां सती का जिह्वा गिरी थी। यहां की शक्ति shakti सिद्धिदा व भैरव उन्मत्त हैं।
(10)

इस शक्तिपीठ shakti peeth को लेकर विद्वानों में मतदभेद है। कुछ गुजरात के गिरिनार के निकट भैरव पर्वत को तो कुछ मध्य प्रदेश के उज्जैन के निकट क्षीप्रा नदी तट पर वास्तविक शक्तिपीठ shakti peeth मानते हैं, जहां माता का उफध्र्व ओष्ठ गिरा है। यहां की शक्ति shakti अवन्ती तथा भैरव लंबकर्ण हैं।
(11)

अट्टहास शक्तिपीठ shakti peeth पश्चिम बंगाल के लाबपुर में स्थित है। जहां माता का अध्रोष्ठ यानी नीचे का होंठ गिरा था। यहां की शक्ति पफुल्लरा तथा भैरव विश्वेश हैं।
(12)

जनस्थान शक्तिपीठ shakti peeth महाराष्ट्र के नासिक के पंचवटी में स्थित है , जनस्थान शक्तिपीठ shakti peeth में माता की ठुड्डी गिरी थी। इस दिव्य स्थान की शक्ति भ्रामरी तथा भैरव विकृताक्ष जी हैं।
(13)

(14)

पश्चिम बंगाल के सैन्थया में स्थित है यह पीठ, जहां देवी की देह का कण्ठहार गिरा था। यहां कि शक्ति निन्दनी और भैरव निन्दकेश्वर हैं।
(15)

आंध्रप्रदेश के कुर्नूल के पास है श्री शैल का शक्तिपीठ shakti peeth, जहां माता का ग्रीवा गिरा था। यहां की शक्ति महालक्ष्मी तथा भैरव संवरानन्द अथव ईश्वरानन्द हैं।
(16)

पश्चिम बंगाल के बोलपुर में है नलहटी शक्तिपीठ shakti peeth, जहां माता का उदरनली गिरी थी। यहां की शक्ति कालिका तथा भैरव योगीश हैं।
(17)

इसका निश्चित स्थान अज्ञात है। स्थान को लेकर मन्तारतर है तीन स्थानों पर मिथिला शक्तिपीठ shakti peeth को माना जाता है, वह है नेपाल के जनकपुर, बिहार के समस्तीपुर और सहरसा, जहां माता का वाम स्कंध् गिरा था। यहां की शक्ति उमा या महादेवी तथा भैरव महोदर
(18)

इसका निश्चित स्थान अज्ञात है, बंगाज पंजिका के अनुसार यह तमिलनाडु के चेन्नई में कहीं स्थित है रत्नावली शक्तिपीठ shakti peeth जहां माता का दक्षिण स्कंध् गिरा था। यहां की शक्ति कुमारी तथा भैरव शिव हैं।
(19)

गुजरात गूना गढ़ के गिरनार पर्वत के शिखर पर देवी अम्बिका का भव्य विशाल मन्दिर है, जहां माता का उदर गिरा था। यहां की शक्ति चन्द्रभागा तथा भैरव वक्रतुण्ड है। ऐसी भी मान्यता है कि गिरिनार पर्वत के निकट ही सती का उध्र्वोष्ठ गिरा था, जहां की शक्ति अवन्ती तथा भैरव लंबकर्ण है।
(20)

पंजाब के जालंध्र में स्थित है माता का जालंध्र शक्तिपीठ shakti peeth जहां माता का वामस्तन गिरा था। यहां की शक्ति त्रिापुरमालिनी तथा भैरव भीषण हैं।.
(21)

इस शक्ति पीठ की स्थिति को लेकर भी विद्वानों में मतान्तर है। कुछ उत्तर प्रदेश के चित्राकूट तो कुछ मध्य प्रदेश के मैहर में मानते हैं, जहां माता का दाहिना स्तन गिरा था। यहा की शक्ति शिवानी तथा भैरव चण्ड हैं।
(22)

झारखण्ड के गिरिडीह, देवघर स्थित है वैद्यनाथ हार्द शक्तिपीठ shakti peeth, जहां माता का हृदय गिरा था। यहां की शक्ति जयदुर्गा तथा भैरव वैद्यनाथ है। एक मान्यतानुसार यहीं पर सती का दाह-संस्कार भी हुआ था।
(23)

माता का यह शक्तिपीठ shakti peeth पश्चिम बंगाल के सैन्थया में स्थित है जहां माता का मन गिरा था। यहां की शक्ति महिषासुरमदिनी तथा भैरव वक्त्रानाथ हैं।
(24)

तमिलनाडु के कन्याकुमारी के तीन सागरों हिन्द महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ीद्ध के संगम पर स्थित है कण्यकाश्रम शक्तिपीठ shakti peeth, जहां माता का पीठ मतान्तर से उध्र्वदन्त गिरा था। यहां की शक्ति शर्वाणि या नारायणी तथा भैरव निमषि या स्थाणु हैं।
(25)

पश्चिम बंगाल के कटवा जंक्शन के निकट केतुग्राम में स्थित है बहुला शक्तिपीठ shakti peeth, जहां माता का वाम बाहु गिरा था। यहां की शक्ति बहुला तथा भैरव भीरुक हैं।
(26)

मध्य प्रदेश के उज्जैन के पावन क्षिप्रा के दोनों तटों पर स्थित है उज्जयिनी शक्तिपीठ shakti peeth। जहां माता का कुहनी गिरा था। यहां की शक्ति मंगल चण्डिका तथा भैरव मांगल्य कपिलांबर हैं।
(27)

राजस्थान के पुष्कर में स्थित है मणिदेविका शक्तिपीठ shakti peeth, जिसे गायत्री मन्दिर के नाम से जाना जाता है यहीं माता की कलाइयां गिरी थीं। यहां की शक्ति गायत्री तथा भैरव शर्वानन्द हैं।
(28)

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में स्थित है। यहां माता की हाथ की अंगुलियां गिरी थी। लेकिन, स्थानों को लेकर मतभेद इसे यहां अक्षयवट, मीरापुर और अलोपी स्थानों गिरा माना जाता है। तीनों शक्तिपीठ shakti peeth की शक्ति ललिता हैं तथा भैरव भव है।
(29)

उड़ीसा के पुरी और याजपुर में माना जाता है जहां माता की नाभि गिरा था। यहां की शक्ति विमला तथा भैरव जगन्नाथ पुरुषोत्तम हैं।
(30)

तमिलनाडु के कांचीवरम् में स्थित है माता का कांची शक्तिपीठ shakti peeth, जहां माता का कंकाल गिरा था। यहां की शक्ति देवगर्भा तथा भैरव रुरु हैं।

पं मुक्ति नारायण पाण्डेय
( कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )
( कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

Published By : Memory Museum
Updated On : 2019-10-05 07:13:55 PM
दोस्तों यह साईट बिलकुल निशुल्क है। यदि आपको इस साईट से कुछ भी लाभ प्राप्त हुआ हो , आपको इस साईट के कंटेंट पसंद आते हो तो मदद स्वरुप आप इस साईट को प्रति दिन ना केवल खुद ज्यादा से ज्यादा विजिट करे वरन अपने सम्पर्कियों को भी इस साईट के बारे में अवश्य बताएं .....धन्यवाद ।
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